दून अस्पताल के यह कोरोना योद्धा, अपने बुलन्द इरादों से तोड़ रहे कोरोना की कमर,उत्तराखंड में कोरोना तांडव कर रहा है प्रदेश के कोने-कोने में त्राहिमाम मचा हुआ है। ऐसे में अगर फ्रंट लाइन में है तो वह है डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ टेक्निकल स्टाफ या यूं कहें स्वास्थ्य विभाग का हर कर्मचारी इस त्राहिमाम के सामने ढाल बनकर खड़ा है और कोरोनावायरस से जूझ रहे आमजन मानस की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं

वेसे तो उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की चरमराई व्यवस्था को देखकर मरीज जाने से कतरा रहे है लेकिन ऐसी स्थिति में राजधानी देहरादून का सबसे बड़ा अस्पताल दून अस्पताल जी हां ये सरकारी अस्पताल है |
जो कोविड-19 संक्रिमतों के लिए बनाया गया है वैसे तो अस्पतालों की बहुत बुरी हालत हो रही है क्योंकि किसी भी संस्थान को चलाने के लिए व्यवस्था की जरूरत होती है व्यवस्थापक की जरूरत होती है ऐसे में दून अस्पताल के अंदर प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना जी जिन्होंने पिछले वर्ष भी कोरोना काल मे अपने कुशल नेतृत्व से जिले में कीर्तिमान स्थापित किया है|

और उनकी तरकश के तीर जो 24 घण्टे हरदम परिवार की परवाह किए बग़ैर जिनका पूरा दिन मरीज और उनके तीमारदारों की मदद करने और तमाम व्यवस्था को संभालने में लगा रहता है, तो वो है वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डॉ महेंद्र भंडारी,हाल ही में इनकी धर्मपत्नी कोविड पोसिटिव आ गयी थी लेकिन डॉक्टर भंडारी ने अपने साहस के बल पर बुलन्द हौसलों के बल पर दून अस्पताल की तमाम व्यवस्था को अपने कंधों पर रखा हुआ है,वो अपनी टीम को जरा सा भी हताश नही होने देते हर समय उनका उत्साह बढ़ाते हुए अपने कार्य को गति देते हुए आगे बढ़ते रहना और परिवार की तरह मरीजो की सेवा में लगें रहना,वही है भाई सन्दीप राणा, मतलब किसी भी तीमारदार का फोन आजाए तो समस्या कुछ भी हो खुद की निजी समस्या मानकर उस समस्या को समाधान तक पहुंचाना, अस्पताल के हर वार्ड की स्तिथि का जायजा लेना कही किसी मरीज को दिक्कत तो नही डॉक्टरों से निरन्तर सम्पर्क बनाये रखना, पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने कार्य को अंजाम देना |

इसी कड़ी में आते है भाई गौरव चौहान हंसमुख मिजाज दिन भर फोन की हज़ारों फोन कॉल्स का जवाब देना किसी का बिजी रहता है तो बैक कॉल करके उसकी बात को सुनना और फोन पर ही उनकी अधिकतर समस्या को सुलझा देना,सही सुझाव जैसे जरूरत एहतियात समझाना, किसी का मरीज एडमिट है तो उसका हाल बहुत ही सहजता से बताकर तीमारदारों को संतुष्ट करने ये गौरव चौहान की कला है।

तो ऐसे में प्रदेश के प्रत्येक चिकित्सालय में अगर ऐसे योद्धा इस जिम्मेदारी को अपना समझकर मरीजो की पथराई आंखों की आस बन जाये तो वो वहां बहुत सी सांस बचाई जा सकती है ।

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