spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
spot_img
spot_img
Friday, December 1, 2023

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपदाओं के प्रभाव को कम करने हेतु पूर्व तैयारी ही आपदाओं से बचने का उपाय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में डिजास्टर मैनेजमेंट पर होनी वाली तमाम कार्यशालाओं में आने वाले निष्कर्ष सिर्फ थ्योरी तक सीमित नही रहने चाहिए बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय उपयोगी सिद्ध होने चाहिए।

कार्यशालाओं के यह निष्कर्ष मुख्यमंत्री कार्यालय को भी ससमय उपलब्ध कराए जाए ताकि इन अनुभवों को समय पर उपयोग किया जा सके। सीएम धामी ने कहा कि हमें डिजास्टर मैनेजमेंट में थ्योरी से अधिक प्रैक्टिकल को महत्व देना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास से राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान तथा उत्तराखण्ड प्रशासनिक अकादमी, नैनीताल के साझे प्रयासों से ‘‘ Reducing Risk: Capacity Building in the Mountain States” पर आयोजित कार्यशाला में वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड सहित हिमालयी राज्य आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों के बीच पर्वतीय राज्यों की आपदा से लड़ने की चुनौती और भी बढ़ी है। जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियरों की पिघलने की गति तेज हुई है। पेयजल स्रोत व्यापक रूप से सूखने लगे हैं। भविष्य में होने वाले बड़े संघर्ष का कारण पेयजल भी हो सकता है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि केदारनाथ आपदा और उसके बाद राज्य में आई कई अन्य आपदाओं से सीख लेते हुए उत्तराखण्ड राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग अपने अनुभवों एवं सम्बन्धित संस्थाओं के सहयोग से एक ऐसी प्रणाली विकसित करने में सफल होगा जिससे कि हम आने वाले समय में अपने राज्य के साथ-साथ अन्य राज्यों की भी आपदाओं के दौरान मदद करने में सफल हो सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ आपदा के बाद राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा सुविधाओं, सशक्त संचार व्यवस्था, आल वेदर रोड, हेलीपैड्स के निर्माण, शहरी नियोजन जैसे पुनर्निर्माण कार्याे पर विशेष ध्यान दिया गया, फिर भी राज्य के बहुमूल्य संसाधन व समय इस आपदा से उबरने में लगा। केदारनाथ आपदा के उपरान्त मा० प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में पुनर्निर्माण कार्यों को युद्धस्तर पर सम्पादित किया गया, जिसके कारण ही बहुत कम समय में उत्तराखण्ड देवभूमि की पहचान बाबा केदार की स्थली का न केवल पुनर्निर्माण किया गया, बल्कि बाबा केदार के धाम को एक विहंगम एवं अलौकिक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से अपेक्षा की कि वह स्थानीय क्षमता निर्माण में उत्तराखण्ड राज्य एवं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील समस्त राज्यों को सहयोग प्रदान करे। संस्थान उत्तराखंड और अन्य पर्वतीय राज्यों को तकनीकी और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करके आपदा प्रबन्धन में उनकी क्षमता विकास में मदद कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि आपदा प्रबन्धन हेतु क्षमता विकास के लिए वर्ष 1995 में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डॉ० आर. एस टोलिया उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल में आपदा प्रबन्धन प्रकोष्ठ स्थापित किया गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान द्वारा आपदाओं के न्यूनीकरण एवं क्षमता विकास हेतु साऊथ कैम्पस गुन्टूर आन्ध्र प्रदेश में स्थापित किया गया है और अब पर्वतीय राज्यों हेतु एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अकादमी, नैनीताल में स्थापित करने एवं आपदा प्रबन्धन में क्षमता विकास किए जाने में पूर्ण सहयोग एवं सहायता देने हेतु अपनी सहमति दी गई है। इसके साथ ही अकादमी में आज लगभग 247 लाख रू0 की लागत से किए गए ऑडिटोरियम के उच्चीकरण कार्य का भी लोकार्पण किया गया जिससे भविष्य में अकादमी में प्रशिक्षण हेतु आने वाले प्रशिक्षु लाभान्वित होगे।

कार्यशाला में विधायक सरिता आर्या , पर्यावरणविद् चण्डी प्रसाद भट्ट, वरिष्ठ इतिहासकार शेखर पाठक, भगवती प्रसाद पाण्डे, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति एन के जोशी, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान के अधिशासी निदेशक ताज हसन, प्रो सन्तोष कुमार, कुमाऊँ मण्डल के आयुक्त दीपक रावत तथा हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, असम, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैण्ड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

15,000FansLike
545FollowersFollow
3,000FollowersFollow
700SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts

error: Content is protected !!
× Live Chat
%d bloggers like this: