उत्तर प्रदेश। आज ही के दिन दिल्ली की सड़क पर 10 साल पहले निर्भया कांड हुआ था। इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस घटना के दोषियों को तीन साल पहले फांसी दी गई थी। निर्भया के गुनहगारों में अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और पवन गुप्ता सहित छह लोग शामिल थे। इसमें रामसिंह नामक एक आरोपी ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी और एक नाबालिग को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था। इसमें एक आरोपी बस्ती जिले का रहने वाला था।
इन दोषियों में एक आरोपी पवन गुप्ता भी था। जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जगन्नाथपुर गांव का रहने वाला था। फांसी के दो दिन पहले से ही इस गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था। पवन के रिश्तेदार जहां चुप्पी साधे हुए थे तो ग्रामीण भी इसे विधि का विधान मान रहे थे।
संजय गोस्वामी फांसी वाले दिन को याद करके कहते हैं कि पवन को फांसी होने वाली थी, यह सूचना गांव में सबको मिल गई थी। उस दौरान पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था। यहां लोग पवन को बचपन से जानते थे। जिस आरोप में उसे सजा-ए-मौत हुई है वैसा उसका स्वभाव नहीं था। गांव के पुजारी दयानंद गोस्वामी ने कहा की विधि का विधान टाला नहीं जा सकता है। हालांकि पवन बचपन में बेहद सरल स्वभाव का था।गांव के सुखई निषाद ने कहा कि पवन किसी के बहकावे में आकर इस कांड में शामिल हो गया था। वह इस स्वभाव का बिल्कुल भी नहीं था। गांव के ही राम दयाल ने कहा कि पवन दिल्ली से जब गांव आता था, तब वह यहां के बच्चों के साथ ही खेलता था। उसके बचपन की यादें इस गांव से जुड़ी हैं।