अवधेश कुमार
संसद यानी लोक सभा और राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया उत्तर निस्संदेह कांग्रेस, कई विपक्षी पार्टियों और नेताओं को रास नहीं आया है।
राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट का नाम लेकर लोक सभा में भाषण इस आरोप पर केंद्रित कर दिया कि गौतम अदानी का कारोबार विस्तार केवल प्रधानमंत्री मोदी के कारण हुआ है। प्रधानमंत्री ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट, अदानी आदि को स्पर्श नहीं किया और राहुल गांधी या किसी नेता का नाम भी नहीं लिया। बिना नाम लिये उन्होंने जिस तरह व्यंग्य और कटाक्ष किए राजनीति के वर्तमान विमर्श में वह लुप्तप्राय है।
मोदी के भाषण में एक साथ राष्ट्रपति के अभिभाषण से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण, सरकार के प्रदर्शन संबंधी विपक्ष के आरोपों का वस्तुनिष्ठ उत्तर तथा भारत के लोगों एवं विश्व को यह आश्वासन था कि सरकार देश को सही दिशा में ले जा रही है। जब विरोध में नकारात्मक और निराशाजनक तस्वीरें पेश की जा रही हो तो प्रधानमंत्री का दायित्व होता है कि वह आशाजनक सच्चाईयों को रखे एवं लोगों के अंदर पैदा हुए आत्मविश्वास को सुदृढ़ करें। संपूर्ण विश्व में भारत के प्रति सकारात्मक धारणा एवं कायम हुई उम्मीदों को बनाए रखने का संदेश देना भी प्रधानमंत्री का दायित्व है। प्रधानमंत्री के भाषण में ये सारे तत्व एक साथ मौजूद रहे। स्वाभाविक ही इसमें विपक्ष को कमजोर,अदूरदर्शी, निराश एवं नकारात्मक विचारों से भरा हुआ साबित करना ही था। लोक सभा में विपक्ष के बारे में उन्होंने काका हाथरसी की यह पंक्ति बोली-आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन। साफ दिख रहा था कि वे बोल रहे हैं संसद में लेकिन देश और दुनिया में अपने सुनने वालों को संबोधित कर रहे हैं।
भारत को संभावनाओं वाला देश बताते हुए उन्होंने कुछ उदाहरण दिया भारत सप्लाई चेन के मामले में आगे बढ़ गया है, मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो रहा है, दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है, पिछले नौ वर्ष में भारत में 90 हजार स्टार्टअप आए हैं। आज स्टार्टअप के मामले में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। भारत दुनिया में मोबाइल बनाने में दूसरा बड़ा देश बन गया है और हम निर्यात कर रहे हैं। घरेलू विमान यात्रियों के मामले में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया गया। यह देश है जो एक सेकेंड एक हिस्से में हजारों करोड़ रु पये ट्रांसफर कर देता है। एक समय था, जब देश छोटी तकनीक के लिए भी तरसता था। आज देश आगे बढ़ रहा है।
एक; जो भारत कभी अपनी अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर था, वही आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है। दो; जिन मूल सुविधाओं के लिए देश की बड़ी आबादी ने दशकों तक इंतजार किया, वह इन वर्षो में उसे मिली है। तीन; बड़े-बड़े घोटालों, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की जिन समस्याओं से देश मुक्ति चाहता था, वह मुक्ति देश को अब मिल रही है। चार; पॉलिसी पैरेलिसिस की चर्चा से बाहर आकर देश की पहचान तेज विकास और दूरगामी दृष्टि से लिए गए फैसलों से हो रही है। जरा सोचिए, विपक्ष के नेता या स्वयं राहुल गांधी ने अपने भाषण में इनका खंडन कर दिया होता तो प्रधानमंत्री को इस तरह उन पर व्यंग्य करने का आधार नहीं मिलता।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष द्वारा घेरने पर रक्षात्मक होने की बजाय आक्रामक होकर सही रणनीति अपनाई है। उन्होंने यूपीए शासनकाल को आतंकवादी हमलों, घोटालों और आर्थिक गिरावट का काल बताकर संदेश दिया कि उनका काल उससे बिल्कुल अलग है। जब राज्य सभा में मोदी ने दोनों हाथ उठाकर कहा कि लोग देख रहे हैं कि एक अकेला सब पर भारी तो साफ हो गया कि वह देश को यही संदेश दे रहे हैं कि सब मिलकर उन पर हमले करते हैं, लेकिन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। एक बड़ा वर्ग मोदी को अपने हीरो के रूप में देखता है तो उसके पीछे इसी भावना की भूमिका है।