हरिद्वार : हरिद्वार स्तिथ प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के परमा अध्यक्ष महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज बड़ा श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर बनाये जाएंगे, 6 अप्रैल को उनका महामंडलेश्वर के लिए पट्टाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है इस खबर से उनके भक्तों में अतिउत्साह देखने को मिल रहा है तो वही कार्यक्रम की तैयारी जोरों पर है ।
आपको बता दें महंत रूपेंद्र प्रकाश जी देश समाज और विभिन्न सामाजिक कार्यों में हमेशा से बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं उन्होंने धर्म और संस्कृति के लिए अनेक कार्य किये है । उन्होंने आमजन और गरीब असहाय लोगों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उनके लिए स्वस्थ की योजना बनाई है बता दे स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसायटी के तत्वाधान में शहर में बड़ा मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल दिया है जिसमें अनेक मरीजों का इलाज चल रहा है उन्होंने बताया कि इस हॉस्पिटल में हर वर्ग के लिए सुचारु रुप से सुविधाएं उपलब्ध कराई गई और गरीब असहाय लोगों और संतो के लिए यहां पर फ्री में इलाज किया जा रहा है ।

आपको बता दें कि अध्यात्मिक नगरी हरिद्वार कि देश और दुनिया में अलग पहचान है ऐसी पहचान जिससे कोई अछूता नहीं रहा है अध्यात्म अगर देखना है तो हरिद्वार आना ही होगा और समझना होगा हरिद्वार का मतलब भूखे को अन्न प्यासे को पानी और असहाय को सहारा, तीर्थ यात्रियों को आश्रय की सुविधा, और बीमार को निशुल्क दवाई की सुविधा ।
इसी क्रम में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने उदासीन परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए संकल्प लिया है और वह हमेशा से ही इस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं इस परंपरा से ही समाज के कल्याण के लिए जो भी भरसक प्रयास उन के माध्यम से हुआ है महाराज ने हर संभव प्रयास उसके लिए किया है । स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने अपने कम कालखंड में अध्यात्म जगत में बहुत बड़े कीर्तिमान स्थापित किए हैं उन्होंने विवादित संस्था को अपने संघर्षों के बल पर जिस तरह से बाहर निकाल कर एक नया आयाम दिया है तीर्थ नगरी हरिद्वार में वह उसके लिए प्रशंसनीय है
उदासीन परंपरा में जैसे ब्रह्मलीन जगतगुरु रामानंदचार्य स्वामी हंस देवआचार्य अपने त्याग तपस्या संघर्ष के बल पर शून्य से शिखर पर पहुंचने का कार्य किया है वैसे ही उन्हीं के पद चिन्हों पर चलकर महंत रुपेंद्र प्रकाश महाराज ने संघर्ष के साए में तीर्थ नगरी हरिद्वार में उदासीन परंपरा को विराट संस्कृति बनाने का कार्य क्या है । उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से उदासीन परंपरा को अपनी कार्यशैली के माध्यम से अलग-अलग नए आयाम स्थापित कर बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है
का सबसे बड़ा उदाहरण रामप्रकाश धर्मार्थ चिकित्सालय है
स्वामी भूपेंद्र प्रकाश महाराज के प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत बनने से लेकर उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने तक एक के बाद एक उनकी योग्यता भविष्य में आध्यात्मिक जगत में प्राप्त होने वाली उपलब्धि बड़ी शुरुआत है उन्होंने हमेशा से ही सभी को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया है वह बताते हैं कि बिना संघर्ष के जीवन में हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते उन्होंने बताया है कि अपनी कार्यक्षमता हमारे संघर्ष से ही हमें पता चलती है उन्होंने कहा कि दृढ़ संकल्प से इंसान हरशिखर पर पहुंच सकता है ।
आपको बता दें स्वामी रूपेंद्र प्रकाश आगामी 6 अप्रैल को उदासीन पंचायती अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने जा रहे हैं ।
जिससे संत समाज में हर्ष का माहौल बना हुआ है ।
संत समाज हमारे देश समाज और हिंदू संस्कृति की अहम रीढ़ है । संत समाज का हमारे देश को और परंपरा को संस्कृति को बचाए रखने में बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसे कदापि भुलाया नहीं जा सकता ।
जब जब हमारे देश पर बड़ी विपत्ति आई है तब तब संत समाज ने एकत्र होकर देश के साथ समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने का काम किया है
रिपोर्टिंग हितेश कुमार