spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
spot_img
spot_img
Tuesday, November 28, 2023

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में सतत् विकास लक्ष्यों की 7वीं वर्षगांठ के अवसर पर सतत् विकास लक्ष्य हस्ताक्षर अभियान का शुभारम्भ किया एवं एस.डी.जी से संबंधित वीडियो का विमोचन किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि 2030 तक इन 17 सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभागों को रौडमैप के हिसाब से निरंतर आगे बढ़ना होगा। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जन भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जन सहयोग एवं सामाजिक संस्थाओं एवं विभिन्न संस्थानों का भी पूरा सहयोग लिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संतुलन के साथ समावेशी विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों में उत्तराखण्ड की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन प्रदेश को प्रथम स्थान पर लाने के लिए और प्रयासों की जरूरत है। 2018 में उत्तराखण्ड सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में 10वें स्थान पर था, जबकि अभी राज्य चौथे स्थान पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड के पास प्राकृतिक संपदाओं का भण्डार है। इन प्राकृतिक संपदाओं का बेहतर तरीके से सदुपयोग करना होगा। उद्योगों के क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड में अपार संभावनाएं हैं।

सतत् विकास लक्ष्य 2030 तक गरीबी के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए एक साहसिक एवं सार्वभौमिक समझौता है जो सबके लिए एक समान, न्यायपूर्ण और सुरक्षित विश्व की रचना करेगा। इसके लिए 17 सतत विकास लक्ष्य रखे गये हैं। भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण हासिल करना तथा सतत कृषि को बढ़ावा देना। स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन तंदुरुस्ती को बढ़ावा देना। समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन शिक्षा-प्राप्ति के अवसरों को बढ़ावा देना।लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं और बालिकाओं का सशक्तिकरण करना । सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना। सभी के लिए किफायती, भरोसेमंद, सतत और आधुनिक ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करना। सभी के लिए सतत, समावेशी और संधारणीय आर्थिक विकास, पूर्ण और लाभकारी रोजगार और उचित कार्य को बढ़ावा देना। समुत्थानशील अवसंरचना का निर्माण करना, समावेशी और संधारणीय औद्योगीकरण को बढ़ावा देना और नवोन्मेष को प्रोत्साहित करना ।

राष्ट्रों के अंदर और उनके बीच असमानता को कम करना । शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, समुत्थानशील और संधारणीय बनाना। सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना । जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तात्कालिक कार्रवाई करना। सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्रीय संसाधनों का संरक्षण करना और इनका संधारणीय तरीके से उपयोग करना । स्थलीय पारिस्थिकी-तंत्रों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना और इनके सतत उपयोग को बढ़ावा देना, वनों का सतत तरीके से प्रबंधन करना, मरुस्थल-रोधी उपाय करना, भूमि अवक्रमण को रोकना और प्रतिवर्तित करना और जैव-विविधता की हानि को रोकना । सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी सोसाइटियों को बढ़ावा देना, सभी को न्याय उपलब्ध कराना तथा सभी स्तरों पर कारगर जवाबदेह और समावेशी संस्थाओं का निर्माण करना एवं कार्यान्वयन के उपायों का सुदृढ़ीकरण करना और सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी का पुनरुद्धार करना शामिल है ।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर.मीनाक्षी सुदंरम, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय,एडिशन सीईओ सीपीपीजीजी डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

15,000FansLike
545FollowersFollow
3,000FollowersFollow
700SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts

error: Content is protected !!
× Live Chat
%d bloggers like this: