देहरादून : भाजपा नेतृत्व ने तय रणनीति से बेबीरानी मौर्य से उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलाकर उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया।
जानकारी के मुताबिक ब्रज और पश्चिम के जिलों में खासतौर पर जाटव वोट बैंक पर मायावती का कब्जा माना जाता है। आगरा की बेबीरानी भी जाटव समाज से है।
पार्टी ने पश्चिम एवं ब्रज के साथ पूरे प्रदेश में जाटव वोट बैंक को साधने के लिए बेबीरानी पर बड़ा दांव खेला है। बुधवार को प्रदेश मुख्यालय में चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान की पहली चुनावी बैठक में बेबीरानी को लेकर योजना बनाई गई।
जिसमे अक्तूबर-नवंबर में बेबीरानी मौर्य की हर क्षेत्र में एक-एक बड़ी सभा कराई जाएगी, इसमें क्षेत्र के सभी जिलों की दलित एवं अति दलित जातियों के साथ खासतौर पर जाटव समाज के लोगों को जुटाने का प्रयास किया जाएगा।
जिससे क्षेत्रों के बाद दिसंबर से लेकर चुनाव तक हर जिले में बेबीरानी मौर्य की एक-एक बड़ी सभा कराई जाएगी। उनकी सभाओं के लिए प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत को समन्वयक नियुक्त किया गया है। हर क्षेत्र की बनेगी अलग रणनीति
भाजपा ब्रज, पश्चिम, काशी, गोरखपुर, अवध और कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अलग-अलग चुनावी रणनीति बनाएगी।
इन छह क्षेत्रों में मोदी-योगी सरकार के लाभार्थियों को साधने के साथ वहां हुए विकास, जातीय समीकरण, विपक्षी दलों की स्थिति और समसामायिक स्थिति के अनुसार हर क्षेत्र की अलग रणनीति तैयार की जाएगी। आपको बता दें बेबी रानी मौर्य भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से है क्या और भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया था जिसमें उन्होंने अपना 3 साल का कार्यकाल राज्यपाल के रूप में निर्वहन किया उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने बीबीरानी मूल्य का इस्तीफा दिलाकर यूपी में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी देकर प्रदेश की राजनीति में सियासी भूचाल ला दिया है
दिलचस्प बात यह है कि संगठन ने बेबी रानी मौर्य को दलित चेहरा बनाकर बहुत बड़ा दांव खेला है जिसका झटका बसपा सुप्रीमो मायावती पर लगना तय है
