मोदी सरकार के मुख्य एजेंडे का हिस्सा समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है|
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए समिति बनाकर सर्वेक्षण करने को हरी झंडी दे दी है माना जा रहा है कि इस फैसले से केंद्र ने पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की कवायद शुरू करदी है|
पुष्कर सिंह धामी देते है गुंडे मवाली जैसे बयान– गरिमा
केंद्र सरकार की सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड से आने वाली नतीजे पूरे भारत में इस संहिता का भविष्य तय करेंगे केंद्र सरकार ने संविधान में बदलाव के बारे में पूरे देश के लिए इसके स्वरूप और एहतियात पर भी विचार शुरू कर दिया है
आपको बता दें यह कॉमन सिविल कोड समान नागरिक संहिता देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह की उम्र विवाह विवाह विच्छेद तलाक गोद लेने का अधिकार बच्चों का अभिरक्षण कस्टडी पोषण भत्ता उत्तराधिकार एवं पारिवारिक संपदा का बंटवारा और दाना पानी चैरिटी को लेकर एक कानून होगा
वही उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई कमेटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट में पूर्व जज और जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की अध्यक्ष रही जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रहे हैं तो वही कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस प्रमोद कोहली सामाजिक कार्यकर्ता मनोज गौड़ पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल है
बताया जा रहा है कि अगर यह कानून लागू होता है तो सिविल मुकदमों में कमी आएगी सरकार के अनुसार समान नागरिक संहिता होने से देश की अदालतों पर लगातार बढ़ते मुकदमों के बोझ को आसान करने में भी मदद मिलेगी ।
समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसोनी ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी का विरोध नहीं करती है लेकिन विविधता वाले देश में इसको लागू करना बहुत कठिन होगा लेकिन विडंबना यह है कि उत्तराखंड के अंदर जो फैसले लिए जाते हैं और भाजपा के बदलते मुख्यमंत्री एक दूसरे के फैसले को ही बदल डालते हैं वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ब्रेंचाइल्ड बताते हुए उन्होंने कहा पुष्कर सिंह धामी के फैसले को कोई आने वाले मुख्यमंत्री भी बदल सकते हैं लेकिन चंपावत उपचुनाव के लिए चुनाव का लाभ लेने के लिए आनन-फानन में समिति का गठन किया गया है इससे साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर गंभीर नहीं है