उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुरू हुआ चिपको आंदोलन
देहरादून : जिस राज्य में हरियाली बचाने के लिए सालों पहले गौरा देवी ने चिपको आंदोलन शुरू किया था। वहां की राजधानी देहरादून में सड़क चौड़ीकरण के लिए हजारों पेड़ों को काटने का काम शुरू कर दिया गया है। वहीं इसके विरोध में देहरादून के कई गैर सरकारी संगठन लामबंद हो गए हैं।
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गणेशपुर से डाटकाली मंदिर के बीच दिल्ली-देहरादून राजमार्ग चौड़ीकरण परियोजना के तहत एलीवेटेड रोड का विकास किया जा रहा है। जिसके लिए हजारों की संख्या में पेड़ काटने का कार्य शुरू कर दिया गया है।
पेड़ों के कटान को रोकने के लिए दून के कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) लामबंद हो गए हैं। एनजीओ कार्यकर्ता मोहंड बचाओ अभियान के तहत मंगलवार को मोहंड पहुंचे और चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों को काटने का विरोध किया। इस परियोजना से दिल्ली और देहरादून के बीच सफर आसान हो जाएगा।
इस परियोजना के तहत पेड़ कटान का विरोध भी जारी है। इसमें मोहंड क्षेत्र में बसे दर्जनों वन गुर्जरों के डेरों को भी शिफ्ट करने के आदेश हैं। लिहाजा, एनजीओ कार्यकर्ताओं ने अभियान में वन गुर्जरों को भी शामिल कर लिया है।मोहंड बचाओ अभियान से जुड़ते हुए वन गुर्जर चौड़ीकरण की जद में आने वाले पेड़ों से चिपक गए और ऐतिहासिक चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों को कटने से बचाने की मांग की।
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यंग इंडियंस देहरादून चैप्टर ने जलवायु परिवर्तन पहल के तहत देहरादून में तीन मियावाकी वन बनाने की घोषणा की है। साथ ही यंग इंडियंस देहरादून चैप्टर ने नौ स्कूलों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा कांवली स्लम क्षेत्र के 10 बच्चों की शिक्षा को प्रायोजित करने की भी घोषणा की गई।
साथ ही यंग इंडियंस ने अपने थालिर वर्टिकल के तहत नौ स्कूलों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य स्कूलों के साथ काम कर प्रत्येक बच्चे को स्वतंत्र, सुरक्षित, खुश, समावेशी और जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके। चैप्टर जल्द ही छह कालेज के साथ भी एमओयू करेगा।