माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दान किया और भोजन कराया। सुबह ब्रह्म मुहुर्त में ही घाट पर स्नान करने वालों की भीड़ लगी रही। माघ पूर्णिमा के अवसर पर स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ ही दूसरे जिलों व पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालुओं का सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गया था।
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हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया और इसके बाद ब्राह्मणों को उचित दान-दक्षिणा दी। इसके साथ ही मंदिरों में जाकर भगवान के दर्शन किया। श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क लगाना अनिवार्य है। सनातन धर्म में पूर्णिमा का अलग महत्व है। इस दिन चांद अपनी पूर्ण अवस्था में होता है। यह मान्यता है कि लोगों की हर कामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजा और व्रत का शुरू से ही महत्व रहा है। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं। ऐसे में इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हर माह की पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है। ऐसे में इस माह माघ में पड़ने वाली पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा या माघ पूर्णिमा कहा जाता है।
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