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Monday, March 27, 2023

देहरादून। उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) में पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत की संलिप्तता के मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपनी गलती स्वीकारी। उन्होंने कहा कि वह रावत को नहीं पहचान पाए। उन्होंने इसके लिए खुद को दोषी बताया। इस मामले में अब भाजपा आक्रामक हो गयी है। भाजपा ने कहा है कि यदि हरीश रावत अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं तो उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए।

पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल में ही 2016 की वीपीडीओ भर्ती में गड़बड़ी हुई थी। यह गड़बड़ी कांग्रेस कार्यकाल में ही विजिलेंस ने पकड़ ली थी लेकिन हरीश रावत सरकार ने इस मामले को दबाने का भरपूर प्रयास किया। भाजपा के अनुसार यदि हरीश रावत को अपनी गलती का एहसास था तो उन्हें उसी दौरान भूल सुधार करनी चाहिए थी और आरबीएस रावत को जेल के सीखंचों के पीछे डाल देना चाहिए था।

वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र भसीन के मुताबिक कांग्रेस नेताओं ने अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार का कोई मौका नहीं छोड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बयान बदलने और नौटंकी करने में माहिर हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी गलती स्वीकार की है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो उन्होंने भ्रष्टाचार को प्रश्रय दिया और अब जब सीएम पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार कर रहे हैं तो हरीश रावत माफी मांग रहे हैं कि उनसे उक्त अफसरों को पहचानने में गलती हुई। पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी के फैसलों की प्रशंसा करते हैं एक दिन बाद फिर आलोचना करने पर उतर आते हैं जो इनका दोहरा चेहरा है इसको उत्तराखंड की जनता भतीभांति जानती हैं। इसीलिए जनता ने इनको हाशिए पर धकेल दिया है।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में इस मामले में 30 से ज्यादा लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया है ताकि न्यायालय में केस को मजबूत बनाया जा सके। इनमें कुछ अभ्यर्थी और अधिकारी शामिल हैं। सभी अभ्यर्थियों ने कन्याल, आरबीएस रावत और आरएमएस के अधिकारियों के नाम लिए हैं। इनमें से कई छात्रों और अधिकारियों को सरकारी गवाह भी बनाया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक तमाम वीआईपी लोग और अधिकारियों को इन तीनों के खेल के बारे में पता था। यह भी जानकारी थी कि किस तरह से पैसा इन लोगों के पास आता है और नकल के सिंडीकेट के ये किस तरह से संपर्क में रहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इनमें एक मंडी समिति का पूर्व अध्यक्ष भी शामिल है। इससे जब एसटीएफ ने पूछताछ की तो सारा राज उगल दिया। एसटीएफ ने एक पूर्व अधिकारी को सरकारी गवाह बना लिया है। इससे पूछताछ के आधार पर एसटीएफ के सामने एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आया।

पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी से साढ़े तीन घंटे पूछताछ

ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) भर्ती परीक्षा धांधली में एक पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी पर भी एसटीएफ शिकंजा कस सकती है। सोमवार को एसटीएफ ने कुछ अभ्यर्थियों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी को पूछताछ के लिए बुलाया। बताया जा रहा है कि उनसे एसटीएफ ने करीब साढ़े तीन घंटे पूछताछ की। इसके बाद उनके बयान दर्ज किए गए। सूत्रों की मानें तो एसटीएफ उन्हें इस मामले में सरकारी गवाह बना सकती है। उन्होंने वीडीपीओ भर्ती में एक अभ्यर्थी की सिफारिश आरोपितों से की थी। बताया जा रहा है कि अभ्यर्थी लेकर आए एक पूर्व मंडी समिति के अध्यक्ष को एसटीएफ सरकारी गवाह बना चुकी है। वीपीडीओ भर्ती धांधली में एसटीएफ ने 2016 के तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया को बीते शनिवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद एसटीएफ ने कई अभ्यर्थियों से पूछताछ की है। इनमें कुछ अधिकारी भी शामिल हैं। यह वह अधिकारी हैं जिन्होंने अपने संपर्क वाले अभ्यर्थियों की नौकरी के लिए इनसे सिफारिश की थी। तमाम अभ्यर्थियों से पूछताछ के बाद एक पूर्व सीएम के ओएसडी का नाम भी सामने आया। एसटीएफ ने सोमवार को उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया।

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