देवों की भूमि पर भाजपाई भ्रष्टाचारियों ने कब्जा कर लिया है। अब वोट की चोट से ‘‘भाजपा और भ्रष्टाचार’’, दोनों को हराने का मौका आया है।
आज हम एक-एक कर भाजपाई भ्रष्टाचार के कारनामों का खुलासा करेंगे:-
भाजपा के ‘‘छः पापों’’ की कहानी


- पूत के पाँव पालने में!
उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत पर एक पत्रकार, उमेश कुमार शर्मा ने आरोप लगाया कि 2016 में जब वे बीजेपी के झारखंड प्रभारी थे, तब उन्होंने एक व्यक्ति को गौ-सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के लिए 25 लाख रुपये की रिश्वत ली थी और रुपये अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर कराए थे। बेशर्म भाजपा सरकार ने आरोपों की जाँच करने की बजाय उनके खिलाफ ही आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया। पत्रकार ने हाईकोर्ट की शरण ली। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि ‘‘सरकार की आलोचना करना कभी राजद्रोह नहीं हो सकता।’’ इतना ही नहीं, उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘‘मुख्यमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के प्रतीत होते हैं, इसकी जाँच सीबीआई से कराई जानी चाहिए’’। यदि छिपाने के लिए कुछ नहीं था, तो निष्पक्ष सीबीआई जाँच होनी चाहिए थी। पर सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई, जहां मामला विचाराधीन है। - पवित्र कुंभ के मेले में खुला भ्रष्टाचार – खेला श्रृद्धालुओं के जीवन से खेल!
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने कुंभ मेले के दौरान 11 लैबोरेटरीज़ को कोविड़ के टेस्ट का ठेका दिया, ताकि लाखों श्रृद्धालुओं का आरटी-पीसीआर टेस्ट हो और कोरोना महामारी को फैलने से रोकें। मगर लाखों फर्जी टेस्ट केवल कागजों में हुए, पैसा डकार लिया गया और श्रृद्धालुओं व उनके परिवारों की जिंदगी को महामारी की आग में झोंक दिया।
खुलासा तब हुआ जब फरीदकोट, पंजाब के विपिन मित्तल को कुंभ मेले में आरटी-पीसीआर टेस्ट का मैसेज आया, जब कि वो कुंभ गए ही नहीं। विपिन मित्तल की शिकायत और आरटीआई के आधार पर ICMR ने जाँच के आदेश दिए। भाजपा की उत्तराखंड सरकार ने 11 कंपनियों में से केवल एक कंपनी, मैक्स कॉरपोरेट सर्विस कंपनी की जाँच कराई और एक लाख से अधिक टेस्ट फर्जी पाए। सैकड़ों लोगों के एक ही मोबाईल नंबर बताए गए।
इतना ही नहीं मैक्स कॉरपोरेट ने जीस नवाला कंपनी को काम आउटसोर्स किया था, उसने भी एक कंपनी डोल्फिला कंपनी को काम आउटसोर्स किया, जिसके बारे में खुलासा हुआ कि उसके पास तो आरटी-पीसीआर टेस्ट करने का लाइसेंस ही नहीं है। फर्जीवाड़े का एक उदाहरण ये भी है कि इस कंपनी ने हरिद्वार के नेपाली फार्म एरिया से 3,925 सैंपल इकट्ठा करना बताया, मगर पता लगा कि सबके नाम पर एक ही मोबाईल नंबर बताया गया है।
यह भी खुलासा हुआ कि मैक्स कॉर्पाेरेट सर्विस कंपनी को कोरोना जाँच का कॉन्ट्रैक्ट 12 मार्च, 2021 को दिया गया था। इस कंपनी ने भाजपा सरकार में बैठे लोगों से मिलीभगत कर ओवर राइटिंग से इस तिथि को 12 जनवरी 2021 कर लिया।
भाजपा सरकार ने बाकी दस कंपनियों की जाँच ही नहीं करवाई। - उत्तराखंड भाजपा सरकार का ₹3000करोड़ का ‘चारा घोटाला’ – आरोप पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लगाए!
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेत्री, मेनका गांधी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत को 5 जनवरी, 2021 को पत्र लिखकर उत्तराखंड शीप एवं वूल डेवलपमेंट बोर्ड में भ्रष्टाचार के सीधे आरोप लगाए।
मेनका गांधी ने पत्र में साफ कहा कि बोर्ड ने वर्ल्ड बैंक से 3,000 करोड़ का ऋण लेकर इसका सीधे तौर पर दुरुपयोग किया है।
भाजपा सरकार पर क्या हैं गंभीर आरोप!
o नियम ताक पर रख पशुओं के लिये पंजाब की फर्म से दोगुने दाम पर चारा खरीदा।
o शीप बोर्ड में बिना पद सृजन के डेपुटेशन पर कई अधिकारियों को तैनात किया। इस कारण कई पशु चिकित्सालय बंद हो गए। अधिकारी बिना काम के वेतन ले रहे हैं।
o ढाई लाख के वेतन पर एक कंसल्टेंट को नियुक्त किया गया, जिसका वेतन मुख्य सचिव से भी ज्यादा है।
o सीईओ ने ऑस्ट्रेलिया से जवान शीप के बजाय बूढ़ी भेड़ खरीदीं, जिनसे ज्यादा प्रजनन संभव ही नहीं है।
धामी सरकार उत्तराखंड के लोगों को बताए कि ₹3000 करोड़ के इस चारा घोटाले में भाजपा के कौन से बड़े नेता सम्मिलित हैं और अब तक इस घोटाले में क्या कार्रवाई की गई है। - कंस्ट्रक्शन वर्कर कल्याण बोर्ड में टूलकिट, सिलाई मशीन, साईकल, अस्पताल निर्माण घोटाला!
बीते दिनों चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि ESI हॉस्पिटल बनाने के लिए सरकार व कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दिया और कंपनी को ₹20 करोड़ का अग्रिम भुगतान कर दिया। जबकि हकीकत यह थी कि अग्रिम भुगतान किए जाने तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नहीं किया गया।
इस भ्रष्टाचार की जाँच के लिए सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी ने 23 मार्च 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। जांच में ₹20 करोड़ का गबन होने की पुष्टि हुई।
इसी प्रकार उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में 2020 में कंस्ट्रक्शन वर्कर कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिलें देने के भ्रष्टाचार की सप्रमाण शिकायत की गई। शिकायत होने पर अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया। जब श्रम आयुक्त उत्तराखंड द्वारा जांच कराई गई, तो उस रिपोर्ट में भाजपा के बड़े-बड़े सफेदपोश नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए। पर कार्रवाई होने की बजाय जाँच अधिकारी को हटाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। - हज़ारों करोड़ की नकली दवाईयों का जानलेवा कारोबार भाजपा सरकार की नाक के नीचे पनप रहा!
कल ही ऊधमसिंह नगर में नकली दवाईयों की फैक्ट्री पकड़ी गई, जहां करोड़ों रु. की फर्जी दवाई बनाने का खुला खेल चल रहा था। इससे पहले रुद्रपुर में भी नकली एंटीबायोटिक्स व दूसरी दवाईयों के खुले खेल का खुलासा हुआ था। दिसंबर, 2018 में भी इसी प्रकार नकली दवाईयों के जाल का खुलासा हुआ। अप्रैल, 2021 में कोरोना काल में कोटद्वार में फर्जी रेमडिज़िविर इंजेक्शन बनाने का खुलासा हुआ व भारी मात्रा में फर्जी इंजेक्शन पकड़े गए। एक अनुमान के अनुसार, देश की 20 प्रतिशत नकली दवाईयां उत्तराखंड में धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं।
साल 2018 से नकली दवाईयां बनाने और बेचने के इस जानलेवा धंधे का बार-बार खुलासा हुआ है, पर कार्रवाई कुछ नहीं। नकली दवाईयों से उत्तराखंड और देश के लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का यह धंधा भाजपा सरकार में खुलेआम फलफूल रहा है। साफ है कि भाजपा सरकार की सीधी मिलीभगत के बगैर यह संभव नहीं। - खनन मित्र ‘‘धामी’’
समूचा उत्तराखंड अब यह पुकार-पुकार कह रहा है कि भाजपा सरकार में खनन माफियाओं को खुला संरक्षण है तथा गाड़-गदेरे, नदी-नाले धदोड़ दिए, बालू-बजरी पर 10प्रतिशत तक के कट का खेल चल रहा है।
बीते दिनों बागेश्वर में अवैध उत्खनन के खेल में लगे कई डंपरों को रंगे हाथों उत्तराखंड के प्रशासनिक अधिकारियों ने पकड़ा, मगर भाजपा सरकार ने उन पर कार्रवाई करने की अपेक्षा मुख्यमंत्री के जनसंपर्क अधिकारी नंदनसिंह बिश्त ने यह पत्र लिखा कि ‘‘मुख्यमंत्री जी के मौखिक निर्देशानुसार मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि दिनांक 29.11.2021 को बागेश्वर यातायात पुलिस, बागेश्वर द्वारा किये गए वाहन संख्या यूके 02 सीए 0238, यूके 02 सीए 1238 और यूके 04 सीए 5907 के चालान को निरस्त करने का कष्ट करें।’’
यह पत्र सार्वजनिक होते ही इन जनसंपर्क अधिकारी को हटाया गया, मगर हाल ही में आचार संहिता लगने के पहले 6 जनवरी को मुख्यमंत्री धामी जी ने उन्हें पुनः बहाल करा दिया। क्या मुख्यमंत्री धामी बताएंगे कि अवैध खनन माफिया को संरक्षण का खुला खेल उनकी सहमति से चल रहा है?